(Physical Geography in india) भारत का भौतिक स्वरूप

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 संक्षिप्त परिचय

भारत 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तृत एक विशाल देश है। यहां लगभग सभी स्थलाकृति स्वरूप जैसे सागर तट, प्रायद्वीपीय, पठार नदी, पर्वत, मरुस्थल और मैदानों का विस्तार पाया जाता है। पृथ्वी का ऊपरी परत भूगर्भीय प्लेटो से बना है। पृथ्वी पर 7 बड़े और 20 से अधिक छोटे भूगर्भीय प्लेट पाए जाते हैं। जो समय के साथ गति भी करते हैं।

भूगर्भीय प्लेटें

1• अभिसारी प्लेट:- जब दो भूगर्भीय प्लेटें नजदीक आती है या आपस में टकराती है।
2• अपसारी प्लेट:- जब दो प्लेटें एक दूसरे से दूर जाती है।
3• रूपांतरण प्लेट:- जब दो भूगर्भीय प्लेटें रगड़ के साथ अगल बगल में चलती है।

• पृथ्वी का सबसे ऊपरी परत जो नीचे स्थित तरल भाग मेंटल पर तैर रही है। जिसकी मोटाई धरातल से आंतरिक तरल भाग तक लगभग 50 से 100 किलोमीटर तक है। भूगर्भीय प्लेटें कहलाती है।


भूगर्भीय प्लेटें

गोंडवाना भूमि:-

प्राचीन विशाल महाद्वीप पैंजिया का दक्षिणतम भाग जिसके उत्तर में अंगारा भूमि है, गोंडवाना भूमि के नाम से जाना जाता है। गोंडवाना भूभाग में भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के क्षेत्र शामिल थे।

भारत का भौतिक स्वरूप

भारत को मुख्यतः छः भौतिक भागों में बांटा जाता है।
1• हिमालय पर्वत श्रृंखला
2• उत्तरी मैदान
3• प्रायद्वीपीय पठार
4• भारतीय मरुस्थल
5• तटीय मैदान और
6• द्वीप समूह

हिमालय के कुछ ऊंचे शिखर

• माउंट एवरेस्ट 8848 मीटर
• कंचनजंगा 8598 मीटर
• मकालू 8481 मीटर
• धौलागिरी 8172 मीटर
• नंगा पर्वत 8126 मीटर
• अन्नपूर्णा 8078 मीटर
• नंदा देवी 7817 मीटर
• कामेट 7756 मीटर
• नामचा बरवा 7756 मीटर
• गुरु मंधाता 7728 मीटर

विश्व के तीन ऊंचे शिखर

• माउंट एवरेस्ट 8848 मीटर
• गोडविन आस्टिन (K-2) 8611 मीटर
• कंचनजंगा 8598 मीटर

भूगर्भीय प्लेटों से संबंधित

• प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत का संबंध भूगर्भीय प्लेटों में गति से है।
• पृथ्वी पर 7 बड़े और 20 से अधिक छोटे भूगर्भीय प्लेटें पाई जाती है।
• इन प्लेटों में तीन प्रकार की गति पाई जाती है।
• अभिसारी प्लेटों एक-दूसरे के नजदीक आती है। अपसारी प्लेट एक दूसरे से दूर जाती हैं। जबकि रूपांतरण प्लेटें रगड़ के साथ चलती है।
• प्लेटो में गति का प्रमुख कारण भूगर्भ में उत्पन्न होने वाले संवहनीय धाराओं की उत्पत्ति है।
• अभिसारी और अपसारी प्लेटों के कारण निर्माण कार्य होता है। जबकि रूपांतरण प्लेट के कारण केवल भूकंप की क्रिया होती है।
• हिमालय जैसे वलित पर्वतों का निर्माण अभिसारी प्लेट क्रिया के कारण हुआ है।
• समुद्र में स्थित कटकों का निर्माण अपसारी क्रियाओं के कारण हुआ है।
• विश्व के अधिकतर ज्वालामुखी एवं भूकंप संभावित क्षेत्र भूगर्भीय प्लेटों के किनारों पर ही स्थित है। पर कुछ प्लेट के अंदर भी भूकंप आते है।

महाद्वीपीय विस्थापन

• प्राचीनतम विशाल महाद्वीप पेंजिया के नाम से जाना जाता था। जिसमें सारे स्थल भाग एक में सटे हुए थे।

• पैंजिया के सबसे ऊपर वाले भूभाग को अंगारा लैंड और दक्षिण वाले भू-भाग को गोंडवाना लैंड के नाम से जाना जाता था।

• भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के क्षेत्र गोंडवाना लैंड के हिस्सा थे।

• विशाल महाद्वीप पैंजिया के चारों तरफ स्थित सागर को पैंथालाशा के नाम से जाना जाता था।
• हिमालय पर्वत सबसे नवीन पर्वत है।
• हिमालय के स्थान पर टेथिस सागर पर अवस्थित था।

हिमालय पर्वत से संबंधित

विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट है। जो नेपाल में अवस्थित है।

• विश्व की दूसरी सबसे ऊंची चोटी K-2 है। पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में अवस्थित है। हालांकि यह भाग भारत का अभिन्न अंग है। इस कारण भारत की सबसे ऊंची चोटी K-2 को माना जाता है।

• गॉडविन ऑस्टिन अर्थात K-2 काराकोरम पर्वत पर स्थित ह।

• विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा है। यह भारत के सिक्किम राज्य में अवस्थित है।

• हिमालय में स्थित भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा है।

• हिमालय लगभग 2400 किलोमीटर की लंबाई में तथा 150 km. से 400 km. में विस्तृत है।

महान हिमालय

• उत्पत्ति के आधार पर हिमालय को तीन भागों में बांटा जाता है।
• महान हिमालय, लघु हिमालय और शिवालिक की श्रेणी के रूप में।
• महान हिमालय की उत्पत्ति सबसे पहले हुई है। इसलिए इस पर सबसे ऊंची चोटियां अवस्थित है।
• विश्व की कई ऊंची चोटियां इस महान हिमालय पर अवस्थित है।
• माउंट एवरेस्ट, कंचनजंगा, मकालू, धौलागिरी, नंगा पर्वत, अन्नपूर्णा, नंदा देवी इत्यादि पहाड़ इसी पर्वत पर स्थित है।
• महान हिमालय की औसत ऊंचाई 6000 मीटर है।
• महान हिमालय पर सियाचिन, बाल्टरों, गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे कई हिमानी स्थित है।
• महान हिमालय पर है ही बामडीला, नाथूला, लेचुलेखला, शिपकीला, नीतिला, काराकोरम जैसे कई दर्रे अवस्थित।

लघु हिमालय

• महान हिमालय के दक्षिण में स्थित श्रृंखला को लघु हिमालय, हिमाचल हिमालय या निम्न हिमालय के नाम से जाना जाता है।
• इसकी औसत ऊंचाई 3700 मीटर से 4500 मीटर के बीच है।
• इस हिमालय पर धौलाधार, महाभारत श्रृंखला और कश्मीर की घाटी, कांडला एवं कुल्लू की घाटियां अवस्थित है।
• यह क्षेत्र पहाड़ी नगरों के लिए प्रसिद्ध है।

शिवालिक

• लघु हिमालय के समानांतर सबसे दक्षिण में शिवालिक श्रेणी स्थित है।
• इसका निर्माण सबसे बाद में हुआ है इस कारण इसकी ऊंचाई कम है।
• शिवालिक की औसत ऊंचाई 900 से 1100 मीटर के बीच है।
•‍ देहरादून, कोटली दून, एवं पाटलीदून जैसी प्रसिद्ध घाटियां इसी हिमालय में अवस्थित है।

हिमालय का प्रादेशिक वर्गीकरण

• हिमालय पर्वत श्रृंखला को क्षेत्रीय अर्थात प्रादेशिक आधार पर भी वर्गीकरण किया गया।
• इस आधार पर हिमालय को पंजाब हिमालय, कुमाऊं हिमालय, नेपाल हिमालय और असम हिमालय में बांटा गया है।
• पंजाब हिमालय का विस्तार सिंधु नदी से सतलुज नदी के बीच 560 किलोमीटर के क्षेत्र में है।
• कुमाऊं हिमालय का विस्तार सतलुज नदी से काली नदी के बीच लगभग 320 किलोमीटर के क्षेत्र में है।
• जबकि नेपाल हिमालय का विस्तार काली नदी से तीस्ता नदी के बीच लगभग 800 किलोमीटर के क्षेत्र में है।
• वही असम हिमालय का विस्तार तीस्ता नदी से देहांग नदियों के बीच लगभग 750 किलोमीटर के क्षेत्र में पाया जाता है।

भारत का उत्तरी मैदान

• भारत के उत्तरी मैदान का निर्माण तीन प्रमुख नदी तंत्रों सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियों से हुआ है।

• भारत के उत्तर मैदान का विस्तार 2400 किलोमीटर लंबा तथा 240 किलोमीटर से 320 किलोमीटर की चौड़ाई में विस्तृत है।

• उत्तर भारत का मैदान सबसे सघन जनसंख्या वाला क्षेत्र है। क्योंकि यह कृषि के दृष्टिकोण से सबसे उपजाऊ क्षेत्र में गीना जाता है।

• सामान्य रूप से उत्तरी मैदान को तीन भागों में बांटा जाता है। पंजाब का मैदान, गंगा के मैदान और ब्रह्मपुत्र के मैदान के रूप में।

• आकृति भिन्न्नता के आधार पर उत्तर के मैदान को चार भागों में बांटा गया है।

• भाबर, तराई, बांगड़ और खादर के रूप में।

• नदियां पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढ़ाल पर 8 से 14 किलो मीटर की चौड़ाई में गुटिकाओं का निक्षेप करती है। साथ ही जहां पर नदियां विलुप्त हो जाती है। उसे भाबर के नाम से जाना जाता है। 

• भाबर के दक्षिण में जहां नदियां पुनः प्रकट हो जाती है उसे तराई के नाम से जाना जाता है।

• यह क्षेत्र अत्यधिक नमी एवं दलदली वाला होता है। भारत का दुधवा राष्ट्रीय उद्यान इसी क्षेत्र में स्थित है।

• भांगर या बांगर उत्तर के विशाल मैदान का वह क्षेत्र है। जो पुरानी जलोढ़ से बना है। यह खादर की अपेक्षा कम उपजाऊ है। यहां बाढ़ का पानी प्रतिवर्ष नहीं पहुंचता।

• उत्तर के मैदान में स्थित खादर व भूमि है। जहां प्रतिवर्ष बाढ़ का पानी पहुंचता है। जिस कारण से यह काफी उपजाऊ वाला भू-भाग होता है।

प्रायद्वीपीय पठार

• भारत के दक्षिण में त्रिभुजाकार प्रायद्वीपीय पठार की स्थिति है।

• यह पठार प्राचीन क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है।

• इस पठार के दो मुख्य भूभाग हैं। उत्तर में मध्य उच्च भाग तथा दक्षिण में दक्कन का पठार।

• झारखंड स्थित छोटा नागपुर का पठार मध्य उच्च भूमि के अंतर्गत शामिल है।

• जबकि दक्कन का पठार आग्नेय शैलों से बना है। यह पठार कपास के उत्पादन के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है।

पूर्वी घाट

• प्रायद्वीपीय पठार सटा पूर्वी भाग में पूर्वी घाट की पहाड़ियां स्थित है।

• जिसकी औसत ऊंचाई 600 मीटर है।

• पूर्वी घाट की सबसे ऊंची चोटी महेंद्रगिरी है जिसकी ऊंचाई 1500 मीटर है।

पश्चिमी घाट

• दक्कन के पठार के पश्चिम में पश्चिमी घाट की पहाड़ी स्थित है।

• इसे सह्याद्री के नाम से भी जाना जाता है।

• यह 900 से 1600 मीटर ऊंचा है।

• पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची चोटी अनाईमुडी है। जिसकी ऊंचाई 2695 मीटर है।

• डोडाबेटा नीलगिरी की पहाड़ी में स्थित दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। जिसकी ऊंचाई 2637 मीटर है।

भारतीय मरुस्थल

• अरावली पहाड़ी के पश्चिम किनारे पर भारतीय मरुस्थल है।

• जिसे थार मरुस्थल के नाम से जाना जाता है।

• यह एक तरंगित मैदान है जो बालु की टीलों से ढका है।

• लूनी इस मरुस्थल में बहने वाली सबसे लंबी नदी है।

• मरुस्थलीय क्षेत्रों में बरकान, छत्रकशिला, यारडांग जैसे कई स्थलाकृतियां देखने को मिलती है।

तटीय मैदान

• प्रदीपीय पठार के दोनों किनारों पर संकीर्ण तटीय पट्टी में मैदान का विस्तार है।

• पूर्व तटीय क्षेत्रों में मैदान चौड़ी है जबकि पश्चिम तटीय क्षेत्रों में मैदान संकीर्ण है।

• पूर्व तटीय क्षेत्र में उत्तर की ओर स्थित मैदान को उत्तरी सरकार के नाम से जानते है।

• जबकि दक्षिण की ओर स्थित मैदान को कोरोमंडल तट के नाम से जाना जाता है।

• वहीं पश्चिम तटीय भाग में स्थित गुजरात के पास वाले मैदान को काठियावाड़ तट के नाम से जाना जाता है।

• जबकि महाराष्ट्र-गोवा में कोकंण तट, कर्नाटक में कन्नड़ तट तथा केरल में मालाबार तट के नाम से जाना जाता है।

द्वीप समूह

• भारत में दो द्वीप समूह भी स्थित हैं।

• पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह स्थित है।

• जबकि पश्चिम की ओर अरब सागर में लक्षद्वीप समूह है।

• 1973 से पहले लक्षद्वीप को लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था।

• इस द्वीप का कुल क्षेत्रफल 32 वर्ग किलोमीटर है।

• लक्षद्वीप समूह में स्थित बिजली बिल में एक पक्षी अभ्यारण है।

• अंडमान निकोबार द्वी समूह में स्थित बैरेन द्वीप पर सक्रिय ज्वालामुखी का पाया जाता है।

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भारत का आकार एवं स्थिति कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा और अच्छा लगा हो

तो इसे शेयर भी करेंगे!फिर मिलते हैं एक नए विषय, एक नए टापिक के साथ।

                                                                जय हिंद!

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