संसाधन
समाप्यत के आधार पर
स्वामित्व के आधार पर
सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन
अंतर्राष्ट्रीय संसाधन
विकास के आधार पर संसाधन
संभावित संसाधन
यह भी संसाधन है जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परंतु इनका उपयोग नहीं किया गया है उदाहरण के तौर पर भारत के पश्चिम भाग विशेषकर राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जाविकसित संसाधन
संसाधन जिन का सर्वेक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है विकसित संसाधन कहलाते हैं
भंडार
संचित कोष
संसाधनों का विकास
संसाधन जिस प्रकार मनुष्य के जीवन यापन के लिए अति आवश्यक है उसी प्रकार जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है ऐसा विश्वास किया जाता है कि संसाधन प्रकृति की देन है परिणाम स्वरूप मानव ने इसका अंधाधुंध उपयोग किया है जिससे निम्नलिखित मुख्य समस्याएं पैदा हो गई है
कुछ व्यक्तियों के लालच से संसाधनों का ह्रास हुआ है
संसाधन समाज के कुछ ही लोगों के हाथ में आ गए हैं जिससे समाज दो हिस्सों में बट गया है अमीर और गरीब
संसाधन के अंधाधुन शोषण से वैश्विक पारिस्थितिकी संकट पैदा हो गया है
सतत पोषणीय विकास
सतत पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ है कि विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ी की आवश्यकता की आवेला ना करें
संसाधन नियोजन
संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए नियोजन एक सर्वमान्य रणनीति है इसीलिए भारत जैसे देश में जहां संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक व्यवस्था है यह और भी महत्वपूर्ण है यहां ऐसे प्रदेश भी हैं जहां एक तरह के संसाधनों की प्रचुरता है परंतु दूसरे तरह के संसाधनों की कमी है इसीलिए राष्ट्रीय प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर संतुलित संसाधन नियोजन की आवश्यकता है
भारत में संसाधन नियोजन
संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित सोपान है
संसाधनों का संरक्षण
भू संसाधन
भू उपयोग
1 वन
A बंजर तथा कृषि योग्य भूमि
B गैर कृषि परियोजना में लगाई गई भूमि जैसे इमारतें सड़के उद्योग आदि